Saturday 3 August 2019

तीव्र कुपोषण रोकने के लिए 11 हजार ग्राम बालविकास केंद्र तीव्र कुपोषणपर ग्राम बालविकास केंद्र बनेगा उपाय



मुंबई : आदिवासी और बिगर आदिवासी क्षेत्र के अति तीव्र कुपोषित बालकों के लिए 11 हजार 981 ग्राम बाल विकास केंद्र खोले गए हैं. इन केंद्रों में 32 हजार 298 अति तीव्र कुपोषित बालक दाखल किए हैं. अति तीव्र कुपोषित बालकों को घर पर न रखकर उन्हें इन केंद्रों में दखल कर उनपर उपचार किए जाते है. इन स्थानों पर उन्हें पोषण आहार की आपूर्ति की जाती है. इस योजना के अच्छे परिणाम दिखाई दिए है. वर्तमान स्थिति में आंगनबाड़ी क्षेत्र के ऐसे केंद्रों में दाखिल हुए बालकों को वैद्यकीय सलाह के अनुसार शास्त्रीय पद्धति से तैयार किए एनर्जी डेन्स न्युट्रिशियस फूड आहार की आपूर्ति की जाती है.
सबके सहभाग से चलाई जा रही इस मुहिम के परिणाम के रूप में कुपोषण का प्रमाण कम हो रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा युनिसेफ द्वारा किए गए संयुक्त  सर्वेक्षण से राज्य में तीव्र कुपोषीत बालक तथा पतले बालकों की संख्या कम होने की जानकारी मिली है.तीव्र कुपोषित बालकों की संख्या 9.4 फीसदी से 5.1 फीसदी तक नीचे आई है. पतले (ऊंचाई की तुलना में वजन कम होनेवाले) बालकों की संख्या 25 फीसदी से 17 फीसदी तक नीचे आई है.
कुपोषण का रिअल टाइम मॉनिटरिंग होने की दृष्टि से अलग अलग डिजिटल तकनीकी का अवलंब किया जा रहा है. इसमें प्रमुखता से इन्फॉर्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नॉलॉजी एनेबल्ड रिअल टाइम मॉनिटरिंग (आयसीटी आरटीएम) उपक्रम के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों का प्रभावी रूप से संनियंत्रण किया जाता है. इसके द्वारा सभी आंगनबाड़ी केंद्रों का कामकाज एक सामायिक सॉफ्टवेअर के मार्फत किया जा रहा है. इसके लिए आंगनबाड़ी अंगणवाडी सेविकामुख्य सेविकापर्यवेक्षिका तथा तकनीकी श्रमशक्ति के लिए अँड्राईड मोबाईल फोन दिए गए है.
अमृत आहार
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम अमृत आहार योजना के अंतर्गत आदिवासी विभागों में 1 लाख 59 हजार गर्भवती महिला और स्तनदा माताओं के लिए नियमित पोषण आहार के अलावा प्रति दिन एक समय का संपूर्ण खाना (चौरस आहार) दिया जाता है. नियमित आहार के अलावा शाकाहारी बच्चों को  2 केले और मांसाहारी बच्चों के लिए  1 उबला हुआ अंडा सप्ताह में चार दिन दिए जाते हैं. इस योजना के लिए 100 करोड़ से अधिक खर्च किया जा रहा है.
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